सरकार की मूल्य नीति
 



सरकार की मूल्य नीति का सीधा गणित यह होना चाहिए की सब्सिडी मत बियर करो ,पर उस पर छुपे तरीके से टैक्स भी मत लगाओ और उसे जनता को साफ साफ बताओ। मसलन पेट्रोल डीजल पर से सब्सिडी तो हट गयी, पर उस पर अंदरखाने से केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा भारीभरकम टैक्स लगाकर अभी मोटी कमाई की जा रही है। 
इसी तरह रेलवे में पैसेंजर साइड में घाटा तीन गुना ज्यादा है यानी किराया अभी का तीन गुना भी बढ़ा दिया जाये तबतक भी यह घटा नहीं दूर होने वाला है। पर जनता तो किराये में बढ़ोत्तरी का सिर्फ उतना ही वहन करेगी जितना मुद्रा स्फीति की सालाना दर है। यानि हर साल 3 प्रतिशत किराया बढाओ। पर आपके रेलवे की भारी भरकम लागत, भ्रष्टाचार,कामचोरी के लिए तो जनता जिम्मेदार नहीं है। रेलवे की आधी कमाई तो टी टी , ठेकेदार , इंजीनियर , दलाल , पुलिस , परचेजर , ऑफिसर और नेताओ के पॉकेट में चला जाता है। फ्लेक्सी किराया और प्रीमियम ट्रेन जैसे घटिया तरकीबो से कुछ नहीं होने वाला है। इसीलिए सुरेश जी रेलवे की ग्राउंड रियलिटी समझो और फिर सुधर करो। आपके अफसर जिन्हें आप रेल परिवार बताते है ,वे आपको अपनी सुविधा और हितो के मुताबिक सुझाव देंगे।